Description
The Third Eye in Hindi – by T. Lobsang Rampa वह असाधारण शक्तियों के साथ जन्मा था … टी. लोबसांग रम्पा के भाग्य में लिखा था कि उसे एक तिब्बती लामा बनना होगा, यह उसके सितारों की ओर से एक ऐसा संकेत था, जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता था। जब वह अपने संपन्न परिवार को छोड़कर लामामठ में दाखिल हुआ, तो उसका मन बहुत दु:खी था। उसकी आँखों के सामने जीवन में मिलनेवाले कठिन आध्यात्मिक प्रशिक्षण व शारीरिक श्रम का आभास भरा था…। यह है, तिब्बती चिकित्सा मंदिर चकपोरी के भीतर, उसके जाग्रत होने की एक खूबसूरत और गहरी प्रेरक यात्रा! यह एक ऐसी कहानी है, जो पाठक को अपने साथ सूक्ष्म लोकों की रहस्यमयी सैर, क्रिस्टल गेजिंग, आभामंडल का अध्ययन व ध्यान आदि विषयों का आनंद देती है। और इसके साथ ही यह कहानी अपने-आपमें परम शक्तिशाली और सर्वज्ञ तीसरे नेत्र के माध्यम से प्रबोध व ज्ञान पाने की आध्यात्मिक मार्गदर्शक भी है…! ‘यह कहानी पाठकों को मोहित कर देती है!’ -मिआमी हेराल्ड
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