‘मैन्स सर्च फॉर मीनिंग’ एक ऐसी किताब है, जिसे न सिर्फ पढ़ा जाना चाहिए बल्कि संजोकर रखना चाहिए और इस पर तर्क-वितर्क भी करना चाहिए क्योंकि अंतत: यही तो है, जो पीड़ितों की स्मृतियाँ जीवित रखती है।
– जॉन बॉयन द्वारा लिखित भूमिका का एक अंश
विक्टर ई. फ्रैंकल की मैन्स सर्च फॉर मीनिंग होलोकॉस्ट साहित्य की एक क्लासिक किताब है, जिसने कई पीढ़ियों के पाठकों पर गहरा प्रभाव डाला है। एन फ्रैंक की डायरी ऑफ ए यंग गर्ल और एली विजेल की नाइट की तरह ही फ्रैंकल की यह मास्टरपीस भी नाजी मृत्यु शिविर में जीवन की कालातीत पड़ताल करती है। साथ ही पीड़ा का सामना करने और अपने जीवन का उद्देश्य तलाशने के लिए फ्रैंकल के सार्वभौमिक सबक उन पाठकों को एक कभी न भूलनेवाला संदेश देते हैं, जो अपने जीवन में थोड़ी सांत्वना और मार्गदर्शन चाहते हैं। युवा पाठकों के लिए तैयार किया गया यह विशेष संस्करण फ्रैंकल के होलोकॉस्ट संस्मरण को तो संपूर्णता के साथ प्रस्तुत करता ही है, साथ ही मनोविज्ञान पर उनके लेखन का संक्षिप्त सार भी उपलब्ध कराता है। इसके अलावा इसमें विभिन्न तस्वीरें, यातना शिविर का नक्शा, शब्दों की परिभाषा, फ्रैंकल के पत्रों व भाषणों का संग्रह और उनके जीवन व होलोकॉस्ट की प्रमुख घटनाओं की टाइमलाइन भी दी गई है।
अपना अस्तित्व बचाने संबंधी साहित्य की एक चिरकालिक कृति।
-न्यू यॉर्क टाइम्स
अमेरिका की दस सबसे प्रभावशाली किताबों में से एक।
-द लाइब्रेरी ऑफ काँग्रेस
सन 1905 में विएना में जन्में विक्टर ई. फ्रैंकल ने मनोविज्ञान पर तीस से अधिक किताबें लिखीं। वे हार्वर्ड, स्टैनफोर्ड और अन्य अमेरिकी यूनिवर्सिटीज में विजिटिंग प्रोफेसर और लेक्चरर के रूप में भी सक्रिय रहे। 1997 में उनकी मृत्यु हो गई।
जॉन बॉयन अपने युवा पाठकों के लिए पाँच उपन्यास लिख चुके हैं, जिनमें द बॉय इन द स्ट्राइप्ड पजामा भी शामिल है। यह उपन्यास न्यू यार्क टाइम्स का नंबर 1 बेस्टसेलर रह चुका है और इस पर एक फीचर फिल्म भी बन चुकी है। उनके उपन्यास दुनियाभर की पचास से भी ज़्यादा भाषाओं में प्रकाशित हो चुके हैं।
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